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लेखनी कहानी -04-Jul-2022 मेरे सपने मेरे अपने

मेरे सपने मेरे अपने 


दुनिया में किसी का कौन अपना होता है 
अपनों का साथ भी , एक सपना होता है 

खुशियां चंद दिनों की, आंसू तमाम जिंदगी 
हर कोई दिल ही दिल में चुपके चुपके रोता है 

चांद को पाना महज एक ख्वाब है और रहेगा 
फिर भी चकोर रात भर अपने नयन भिगोता है 

बुरे वक्त में तो परछाई भी साथ नहीं देती "हरि" 
रे पागल मन तू फिर भी सपनों के मोती पिरोता है 

अपने प्रभु को छोड़कर भटकता है यहां कहां 
"आम" की उम्मीद करता है और "बबूल" बोता है 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
4.7.22 

 


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5 Comments

Pallavi

05-Jul-2022 03:11 PM

बेहतरीन रचना

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Gunjan Kamal

05-Jul-2022 12:42 AM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2022 01:15 AM

💐💐🙏🙏

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Renu

04-Jul-2022 11:34 AM

👍👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Jul-2022 09:25 PM

🙏🙏

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